१.
धुप या न होना इसका,
उदास कर जाता है.
मन टटोलने लगता/ जगह खाली पासंग......
२.
ऊंचे बित्ता भर/
birawe
फूटी बाली
मन करता है/
रूक जाऊं/
इन्हें पकने तक...
३.
रात अकेली, नीरव/
शोर केवल कुहरे का
मन करता है/
लपेटे हुए धुंध/
सोते रहें गंगा तीरे...
४.
सर्दी/ इस मौसम.
न केवल ठंढक.
सर्द, इसमौसम है/
मुरझाना मेरा.......
धुप या न होना इसका,
उदास कर जाता है.
मन टटोलने लगता/ जगह खाली पासंग......
२.
ऊंचे बित्ता भर/
birawe
फूटी बाली
मन करता है/
रूक जाऊं/
इन्हें पकने तक...
३.
रात अकेली, नीरव/
शोर केवल कुहरे का
मन करता है/
लपेटे हुए धुंध/
सोते रहें गंगा तीरे...
४.
सर्दी/ इस मौसम.
न केवल ठंढक.
सर्द, इसमौसम है/
मुरझाना मेरा.......
ऊँचे बित्ता भर
ReplyDeleteबिरवे
फूटी बाली
मन करता है
रूक जाऊँ
इन्हें पकने तक।
...सुंदर क्षणिका।
aap din par din behtar likhte jaa rahe hain..
ReplyDelete@ devendra uncle and bhavana......many thanks.
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