Saturday, December 31, 2011

सालान्त, बख्से मुझको अतीत से अपने.

लोग बाग
सवाल बना,जवाब सुझाते हैं मुझे.

शिक़वे भूल, गिले मिटाने का सुझाव,
सवाल, सालान्त को करें यादगार. 

नहीं याद,
नाटक औ पात्र 
याद नहीं अभिनव,

समय की तह या गर्त 
पनाह दिए हो भी गर,

भूलने, मिटानें में 
ताज़ा क्यूँ करूँ ज़ख्म    

सालान्त, बख्से मुझको 
अतीत से अपने. 
            

3 comments:

  1. सुन्दर अभिव्यक्ति.........नववर्ष की शुभकामनायें.....

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  2. बेहतरीन....नव वर्ष की हार्दिक शुभकानायें...

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  3. सुन्दर अभिवयक्ति....नववर्ष की शुभकामनायें.....

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