लोग बाग
सवाल बना,जवाब सुझाते हैं मुझे.
शिक़वे भूल, गिले मिटाने का सुझाव,
सवाल, सालान्त को करें यादगार.
नहीं याद,
नाटक औ पात्र
याद नहीं अभिनव,
समय की तह या गर्त
पनाह दिए हो भी गर,
भूलने, मिटानें में
ताज़ा क्यूँ करूँ ज़ख्म
सालान्त, बख्से मुझको
अतीत से अपने.
सुन्दर अभिव्यक्ति.........नववर्ष की शुभकामनायें.....
ReplyDeleteबेहतरीन....नव वर्ष की हार्दिक शुभकानायें...
ReplyDeleteसुन्दर अभिवयक्ति....नववर्ष की शुभकामनायें.....
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