1.
कटोरे भर हंसी तेरी,
चुम लेता हूँ
चाँद आज़ाद हो जाता है।
भर आती है रौशनी
स्याह ज़िन्दगी के कोठरों में।
कटोरे भर हंसी तेरी,
चुम लेता हूँ
चाँद आज़ाद हो जाता है।
भर आती है रौशनी
स्याह ज़िन्दगी के कोठरों में।
2.
औंधे पारिजात पर रख पाँव,
अलसुबह छोड़ जाती हो
रात खत्म नहीं होती।
मर जाता है दिन
स्थिर हो जाती है, ज़िन्दगी की डेवढ़ी।
औंधे पारिजात पर रख पाँव,
अलसुबह छोड़ जाती हो
रात खत्म नहीं होती।
मर जाता है दिन
स्थिर हो जाती है, ज़िन्दगी की डेवढ़ी।
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