Saturday, April 13, 2019

कई रात बाद लौटा,
कई दिन विलुप्त हो गए
लौटा तो साथ पंजर था, मुझ-सा, मुझसे बड़ा ही किंचित।
साथ मेरे, था मुझ-सा कुछ मरा हुआ सा।

समझ नहीं आता नहीं
मरा मैं लौटा या मौत, ही लौट आया है मेरे बदले

दिन है या रात
समझ नहीं आता।

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