तो क्या करें, पता है,
न तुम पढ़ते हो
न मैं लिखता हूँ
अब ऐसा कुछ भी नही करते
जो साथ कभी करते थे
तो क्या करें,
इस ऊब का, जो पहले तो न थी.
उम्र के साथ गिन रहा हूँ, गिनती
मन ही मन बुदबुदा रहा हूँ पहाड़े
अतिरिक्त इसके क्या करें,
इस नई ऊब का.
न तुम पढ़ते हो
न मैं लिखता हूँ
अब ऐसा कुछ भी नही करते
जो साथ कभी करते थे
तो क्या करें,
इस ऊब का, जो पहले तो न थी.
उम्र के साथ गिन रहा हूँ, गिनती
मन ही मन बुदबुदा रहा हूँ पहाड़े
अतिरिक्त इसके क्या करें,
इस नई ऊब का.
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