१.
मैं चाहता हूँ
खुले पल्लों की हों खिड़कियाँ
न केवल हवा, बादल भी चले आएं अंदर।
मैं चाहता हूँ
बच्चे खेलें, गेंद आ जाए कभी कभी।
२.
मैं चाहता हूँ
नानीयां हों उम्रदराज़
शाम से नींद तक चले किस्से।
मैं चाहता हूँ
किस्से हों अजर अमर।
३.
मैं चाहता हूँ
बाद शब्द की मौत भी, लिखे कोई प्रेम पत्र
ज़िंदा रहे चाहत, आशक्त -अनाशक्त।
मैं चाहता हूँ
प्रेम परे हो काव्य उम्र के।
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