Thursday, August 15, 2013

मेरी चुप्पी भी, बस एक।

१. 

कोरा कागज़
लगता है,
बेहतर। 
लिख लिख 
मैं,
खराब करता, अपना ही, सफा। 

२. 

प्रेम परिधि 
गूंगी,
अच्छी। 
सुन, अनसुना 
कर,
बच निकलते, तुम।  

३. 

हर बार 
गरजता बादल,
या 
कोयल की कूक 
एक से ही, लगते मुझको।
बार बार 
की 
मेरी चुप्पी भी, बस एक। 



3 comments:

  1. haan isliye maine toh likhna band hi kar diya hai .. koi fayda hi nahin .. koi inspiration bhi nahin likhne k liye

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  2. प्रेम परिधि गूंगी, अच्छी! :)

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  3. प्रेम परिधि गूंगी, अच्छी! :)

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