Monday, July 15, 2013

वक़्त है,
कि थिर वहीं।
तुम्हे बदलते देखा,
समय और मैंने।

ख्वाब रहे,
अजन्मे।
क़त्ल करता रहा,
जागता रहा मैं।

तुम हो,
कि प्रेय अब भी।
आस छोड़ी बस
ज़िन्दगी और मैंने।









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