Saturday, October 19, 2013

मैं चाहता हूँ

१. 

मैं चाहता हूँ,
लिखूँ एक ग़ज़ल, गुनगुना सके तू भी 
समझ आए कभी, कोई ज़ज्बात मेरे। 

२. 

मैं चाहता हूँ,
रचे तू जब तस्वीर, दिखूं मैं भी 
भले अनदेखी, इक दुआ पास हो तेरे। 

३. 

मैं चाहता हूँ,
लाल हो धरती औ स्याह आकाश जब 
झक सफ़ेद ही हो, चूनर तेरी। 







 

2 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर रजनी भैया

    मै चाहता हूँ
    लिखे आप यूँ ही, मै पढ़ता रहू सब
    शब्द हो सारगर्भित, होता रहे मार्गदर्शन...

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