१.
एक दिन और
पुनः एक दिन
ज़िन्दगी खींच रहा।
एक दिन और,
कोई तोहमत न आए तुझपर।
२.
तुम्हे शिकायत है,
चाल चलन से मेरे।
मुझे पता है,
तुम्हे मेरी आदत नहीं।
३.
इंतज़ार है मुझको
तेरे लिए, या तुझको भी
बंद कर दोगे तुम
प्यार मुझसे।
मुक्त मुझसे, मिले
तुझे धरती, आकाश तेरा।
हर बार की तरह एक गूढ़ रचना...
ReplyDelete"मुझे पता है
तुम्हे मेरी आदत नहीं..."
सुन्दर, बहुत सुन्दर...
भावो को संजोये रचना......
ReplyDeletethanks Manish and Sushma
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