१.
ऊँचा और ऊँचा
खुद के रहने की जगह ,
ख़ुदा, बिलकुल तेरे जैसा।
मैनें भी चुनी है जगह
क़त्ल हुआ था जहां।
२ .
समतल ही फैला
नहीं सहारा कोई चढ़ने को,
कुचला गया कदमों तले
घास,
तुझ जैसा नरम चारा मैं।
३.
परछाईं मेरी,
तुझ जैसा ही मैं।
महसूस नहीं ,मैं
किसी छुअन को भी।
अपनी परछाईं भर, मैं।
सुंदर रचना | होली की हार्दिक शुभकामना |
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