1.
समय नहीं बीता / मैं हुआ, समय बीता।
2.
मुर्दा मुझमे, दफ्न न हुआ सच।
3.
हंस नहीं पाया / रोया तो बस रोना आया।
4.
तुम मिले, तुम खो गए / रहे तुम, खो गया मैं।
5.
मार दिया मैंने / छू भी न गया एहसास एक।
6.
आठ रस हुए पूरे / ज़िन्दगी नहीं एकाकी।
7.
शब्द हुए निष्फल / कलप कलप चीखा मौन।
8.
दिन बीते, अँधेरा छाया रहा हरदम।
समय नहीं बीता / मैं हुआ, समय बीता।
2.
मुर्दा मुझमे, दफ्न न हुआ सच।
3.
हंस नहीं पाया / रोया तो बस रोना आया।
4.
तुम मिले, तुम खो गए / रहे तुम, खो गया मैं।
5.
मार दिया मैंने / छू भी न गया एहसास एक।
6.
आठ रस हुए पूरे / ज़िन्दगी नहीं एकाकी।
7.
शब्द हुए निष्फल / कलप कलप चीखा मौन।
8.
दिन बीते, अँधेरा छाया रहा हरदम।
bhaut hi behtreen.....
ReplyDeleteShukria Aahuti
Deleteकलप-कलप चिंखा मौन .............
ReplyDeleteक्या बात है...दर्द बहुत ज्यादा हो तो मौन रुदन ही व्यक्त कर पता है दुःख को .बेहतरीन कविता.साधुवाद.