१.
पूछो राम
कब करेगा
यह कुछ काम ।
२.
कर दे सबको
रामम राम
सत्य हो जाए राम का नाम
उसके पहले बोलो इसको
कर दे यह कुछ काम का काम ।
३.
इतना अब तुम कर दो राम
बना दो सबके बिगड़े काम
बोलो इसको
करले काम
कब तक बनें हम उल्लू राम ।
बहुत लम्बे कान हैं,
सुनते नहीं कुछ साजिश सिवा
नुकीली लम्बी नाक है,
सूंघते हैं साजिश
आंखों से अँधा है
अंधा तो अंधा है।
नेता है गंदा है।
चाक मध्य पीसा है
जनता का कीसा है।
पर
पूज्य है, पूजनीय है
महा है, महनीय है
तंत्र से जन घोंट कर
बना वह ईसा है
अपना
मसीहा है।
कक्षा - ०२, विषय- हिंदी-भाषा, पाठ-२ - विपरीत शब्द-युग्म
१. सार्थक - निरर्थक
पुरानी किताब: सार्थक क्रिया, निरर्थक प्रयास।
नई किताब: सार्थक जीत, निरर्थक विपक्ष।
२. अर्थ-अनर्थ
पुरानी किताब: झाँसना - अर्थ, वैर-अनर्थ।
नई किताब: जीत- अर्थ, हार- अनर्थ।
३. उपयोगी -अनुपयोगी
पुरानी किताब: रामधुन उपयोगी, गांधी अनुपयोगी ।
नई किताब: दंगा उपयोगी, संविधान अनुपयोगी।
एक भाषा
क्या होगा उसका जो ढोती है केवल झूठ.
याद रखी जायेगी, एक विलुप्त झूठी नदी की तरह
या
बहती रहेगी, ढोती हुई लोकतंत्र का सच
मसीहा की जयकार
संस्थाओं की लाश।
बहती रहेगी क्या तब भी जब आडम्बर नहीं होंगे
नहीं होंगे पंचसाला चुनाव।
जब झूठ नहीं होगा फ़र्क़ सच से,
क्या ज़रुरत होगी भाषा की।
सर पर ताज हो
मन भर आनाज हो
काम नहीं काज हो
साहेब सा राज हो।
चार चापलूस हों
हज़ार जासूस हों
कोटि कोटि भक्त हों
बोटी हो रक्त हो
कभी नहीं हार हो
जय हो जयकार हो।
नंगा हो भूका हो
मोटा हो सूखा हो
शुन्य प्रतिकार हो
अपनी सरकार हो।
१. पूछो राम कब करेगा यह कुछ काम । २. कर दे सबको रामम राम सत्य हो जाए राम का नाम उसके पहले बोलो इसको कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...