बहुत लम्बे कान हैं,
सुनते नहीं कुछ साजिश सिवा
नुकीली लम्बी नाक है,
सूंघते हैं साजिश
आंखों से अँधा है
अंधा तो अंधा है।
नेता है गंदा है।
चाक मध्य पीसा है
जनता का कीसा है।
पर
पूज्य है, पूजनीय है
महा है, महनीय है
तंत्र से जन घोंट कर
बना वह ईसा है
अपना
मसीहा है।
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