tag:blogger.com,1999:blog-2974147489967559667.post4511336660186480189..comments2022-11-10T20:26:54.470+05:30Comments on AALAAP...............: ख़याल कईRAJANIKANT MISHRAhttp://www.blogger.com/profile/05620515043834445894noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-2974147489967559667.post-16007482008553209222013-06-14T23:02:32.370+05:302013-06-14T23:02:32.370+05:30बहुत सुंदर। मैने ऐसे पढ़ा...
ख़याल कई,
नहीं बांट...बहुत सुंदर। मैने ऐसे पढ़ा...<br /><br />ख़याल कई, <br />नहीं बांटे ॥ <br /><br />बताया तो था तुमको <br />भोर की ओस छूने की कशिश,<br />चाहत मोर पंखों की,<br />ख्वाब, नीले धुनों पर थिरकन ॥ <br /><br />नहीं बताया कभी<br />डर, झांकते कुँए में गिरने का<br />भय, चलती ट्रेन से कूद जाने का <br />दुह्स्वप्न, आत्महत्या का ॥ <br /><br />तुमने भी तो छिपाया, <br />मुझसे <br />जो न बांटो <br />घट जाता है ॥ देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.com